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एक अधूरी कोशिश.....वो मेरा चाँद था

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जो था फलक पर आसमान के, वो मेरा चाँद था , फलक से उतर कर, आ बैठा था मेरी खिडकी पर, जो जागा सारी रात मेरे साथ, वो मेरा चाँद था, अक्सर यूँ ही जागा करते हैं हम, सारी रात बातों के साथ, बांटते खुशी और गम को, एक प्याली चाय के साथ, जो कभी हँसता तो कभी रो पड़ता, वो मेरा चाँद था, कल फिज़ा कुछ बदली सी थी, सब कुछ नम सा था, आसमान पर बादल भी थे, मैं ढूँढता रहा जिसे सारी रात, वो मेरा चाँद था...... ~AnSh :)

तितलियाँ यादों की बस उडती ही जाएँ.....

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Dedicated to old memories read on AnSh :)